Blog Archive

Bookmark Us!

बोलो क्या उपहार दूं....

Posted by AMIT TIWARI 'Sangharsh' On 8/25/2009 04:59:00 pm



दूं तुम्हे अपनी ख़ुशी,
या संसार की हर इक ख़ुशी,
या तुम्हे खुशियों का ही संसार दूं...
बोलो क्या उपहार दूं..

चाँद मांगो चाँद दूं,
हर ख़ुशी आबाद दूं,
या गगन से तोड़कर,
तारे हजार दूं..
बोलो क्या उपहार दूं..

यूं ही हंसी खिलती रहे,
हर ख़ुशी मिलती रहे..
मुस्कान पर हर इक तुम्हारी,
जां निसार दूं..
बोलो क्या उपहार दूं..

गम तो बीते वक़्त की हों दास्ताँ,
दर ख़ुशी पर ही रुके हर रास्ता,
दिल कहे दिल का ही
तुमको हार दूं..
बोलो क्या उपहार दूं..

Amit Tiwari 'Sangharsh', Swaraj T.V.

IF YOU LIKED THE POSTS, CLICK HERE
Top Blogs

You Would Also Like To Read:

5 Response to "बोलो क्या उपहार दूं...."

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति।
    बधाई!

     

  2. बेहतरिन । बधाई

     

  3. Nidhi Sharma Said,

    भावपूर्ण रचना....
    दिल को छू लेने वाली अभिव्यक्ति...

     

  4. Anonymous Said,

    अच्छी कविता.....
    भावपूर्ण और प्रशंसनीय........

    बधाई...

     



चिट्ठी आई है...

व्‍यक्तिगत शिकायतों और सुझावों का स्वागत है
निर्माण संवाद के लेख E-mail द्वारा प्राप्‍त करें

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

सुधी पाठकों की टिप्पणियां



पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्‍वमेव-मृगेन्‍द्रता का भाव खत्‍म हो चुका है।'
****************************************** गूगल सर्च सुविधा उपलब्ध यहाँ उपलब्ध है: ****************************************** हिन्‍दी लिखना चाहते हैं, यहॉं आप हिन्‍दी में लिख सकते हैं..

*************************************** www.blogvani.com counter

Followers