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मौलवी शफाअतुल्ला का बयान:

मौलवी शफाअतुल्ला ने कहा, कि मैं एक सभा में भाषण दे रहा था कि कृपाराम ने मुझे एक मांस का टुकडा और दूसरे कई लोगों ने हड्डियाँ दिखाई. मैंने उपस्थित लोगों को वे चीजें दिखा दी. २५ तारीख को सवेरे मैं उस स्थान पर गया, जहाँ लाशें जलाई गयी थी. वह जगह रस्सी से घेर दी गयी थी. जिससे लोग जूते पहनकर उस पर ना जाएँ.
उस घेरे के अन्दर ३-४ फ़ुट ऐसी जगह थी जहाँ से केरोसिन तेल की बू आ रही थी. खुरेदने से, वहां हड्डी के छोटे-छोटे टुकड़े निकलते थे. मेरे सामने वह जगह खोदी गयी. उसमें से हड्डी के टुकड़े और अधजले कोयले निकले. उनसे भी मिटटी के तेल की बू आ रही थी. वहां से कोई दो सौ गज के फासले पर एक जगह खून लगे हुए कंकड़ पड़े थे. मेरे साथियों ने उन्हें चुन लिया.
हमें मालूम हुआ, कि पुलिस वाले कसूर से ग्रंथी और आचार्य लाये थे. वहां जाकर तलाश करने पर हमें जगन्नाथ आचार्य मिल गया. पर ग्रंथी नहीं मिला. उसने साथ चलकर वह जगह दिखाई जहाँ लाश जलाई गयी थी. कसूर में खोज करने पर मालूम हुआ कि डिप्टी पुलिस सुपरिटेंडन्ट शिव दर्शनसिंह ने २३ मार्च की शाम को एक दुकान से ४ टिन मिटटी का तेल ख़रीदा था.

फिरोजपुर में जांच कमिटी

१५वीं अप्रैल को, जाँच कमिटी फिरोजपुर पहुंची. वहां जाते समय सदस्यगण दाह-स्थान देखने के लिए गए. आज वह स्थान नहीं पहचाना जाता था, बालू से बराबर कर दिया गया था और स्वयंसेवकों द्वारा बनाया हुआ घेरा भी तोड़ डाला गया था. दो खुफिया पुलिस के आदमी थोडी दूर से उस स्थान की निगरानी कर रहे थे. सड़क के दूसरी ओर करीब फर्लांग की दूरी पर तीन खीमें गडे हुए थे, जिसमें एक दर्जन से अधिक पुलिस के सिपाही बैठे थे. जमीन के बराबर किये जाने के सम्बन्ध में पूछने पर सी. आई.डी. वालों ने अपनी अनभिज्ञता जतलाई. फिरोजपुर में गवाहियाँ लेने पर फोटोग्राफर लाला मेहरचंद, जिन्होंने दाह-स्थान का फोटो लिया था, और कृपाराम नमक एक दुकानदार ने पिछले बयान का समर्थन किया. कृपाराम ने कमिटी के सामने एक बोतल पेश की, जिसमें चिता स्थान पर पाया गया मांस का एक टुकडा रखा गया था. टुकड़े का वजन १ छटांक के लगभग था.
हरवंशलाल नामक मोटर ड्राईवर ने कहा कि कृपाराम ने उसके सामने मांस का टुकडा चिता-स्थान से उठाया था. गवाह ने उससे एक छोटा टुकडा ताबीज बनाने के लिए लिया. नौजवान भारत सभा के अध्यक्ष अमरनाथ ने कहा कि उन्हें उस स्थान पर कुछ जली हुई हड्डियाँ मिली. गवाह ने हड्डियों को कमिटी के सामने पेश भी किया.
पं. चिरंजीलाल ने भी मांस का टुकडा कमिटी के सामने पेश किया. फिरोजपुर के लाला मुकुन्दलाल एडवोकेट ने कहा कि दाह-स्थान ४ वर्ग फ़ुट से ज्यादा न होगा. इतने संकीर्ण स्थान में तीन लाशें अलग-अलग नहीं जलाई जा सकती. उन्होंने कहा कि हिन्दू या सिख किसी की भी लाश किरोसिन के तेल से जलाना धर्म विरुद्ध है. डॉ. सत्यपाल के प्रश्न का उत्तर देते हुए मौलवी मुहम्मद हुसैन ने कहा कि लाशों के काटे जाने की बात सुनी है.
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-Nirman Samvad, Feature Desk

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2 Response to "भगत सिंह और साथियों की लाशों के टुकडों का क्या हुआ??"

  1. Anonymous Said,

    मामला सनसनीखेज लग रहा है दुःख हुआ जानकर .

     

  2. Unknown Said,

    बहुत ही दुखद प्रसंग है...
    विश्वास नहीं होता कि हमारे अमर शहीदों के मृत शरीरों से ऐसा व्यवहार किया गया,,,,
    बेहद मर्मस्पर्शी..

     


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पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्‍वमेव-मृगेन्‍द्रता का भाव खत्‍म हो चुका है।'
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