रेडियो-दूरदर्शन पर 'हरियाणा नंबर वन' का धुआंधार प्रचार जारी है. देखते-सुनते आजिज हो गया हूँ. विकास की जो तस्वीर पेश की जा रही है, वह बहुत ही फूहड़ और खोखली प्रतीत होती है.
भाजपा का अपना अन्तर्विरोध है, नाकारापन है, पर कांग्रेस भारत के मौजूदा चीखते सवालों से बचकर भाग नहीं सकती. अपने सौ दिनों के ही शासन काल में देश की जो दुर्गति की है, वह कहने और गिनाने की जरूरत नहीं है.
महंगाई, पार्टी पूछकर घर नहीं घुसती...चाहे कांग्रेसी हों या भाजपाई, हर का जीवन जंजाल बन गया है. महंगाई स्थायी मुसीबत के रूप में स्थापित हो चुकी है. सूखे की मार अलग है. देश महामारी को झेलने को विवश है..
झूठ को हज़ार बार दुहराओ कि वह सत्य बन जाए. क्या हरियाणा भारत राष्ट्र से अलग है? क्या हरियाणा की भूमि अचानक उर्वरा हो गयी है? क्या हरियाणा के भूजल स्तर में सुधार आ गया है? उत्पाद, बाज़ार और विपणन पर क्या हरियाणा के किसानो का अधिकार हो गया है? खेती योग्य जमीन से क्या किसानो की बेदखली रुक गयी है?
हरियाणा भ्रूण-हत्या के मामले में 'नंबर वन' रहा है. क्या यह छवि सुधर गयी है? जातीय समरसता जार-जार नहीं हुई है, क्या हरियाणा में? झज्जर की तालिबानी पंचायतो का क्या फैलाव नहीं हुआ है?
दरअसल मनमोहन सिंह के सिपाही जिस विकास की बात कर रहे हैं, उस विकास की पोल खुल चुकी है.'हरियाणा नंबर वन' जिस विकास की कसौटी पर 'नंबर वन' बना है, उसकी परिणति देश देख रहा है.
किसानों के हाथ से बीज छिन गए, बाज़ार निकल गया. खाद ख़त्म हो गए. कृषि के तमाम साधन आज बाज़ार के हवाले हो चुके हैं. खेती बाज़ार का नहीं, आजीविका का साधन है.
हरियाणा में भूमि का कम्पनीकरण किया गया. बड़े पैमाने पर किसानों की भूमि छीनी गई. उपजाऊ भूमि पर मॉल बन रहे हैं या फैक्ट्रियां खुल रही हैं. ऊंची अट्टालिका हरियाणा की बर्बादी को बयां कर रही हैं. सड़क, बिजली और पीने के पानी को पूरे सामाजिक जीवन से अलग कर विकास के लक्ष्य के रूप में विकसित किया गया.
हरियाणा का जो विज्ञापन टी.वी. और रेडियो पर चल रहा है, उसका सम्बन्ध केवल हरियाणा से नहीं है. उसे पूरा देश देख रहा है. अरबों रुपया खर्च करके कांग्रेस देश को क्या दिखाना चाहती है, कि वह तीस मारखां है...
'हरियाणा नंबर वन' बना सकते हैं, तो देश को भी नंबर वन बना सकते हैं. कांग्रेस लाज बचा रही है. महंगाई का जवाब नहीं है कांग्रेस के पास.
कांग्रेस मायावती को घेरती है कि वह मूर्ति क्यों बनावती फिर रही हैं? कांग्रेस बताये कि वह देश का पैसा क्यों पानी की तरह बहा रही है?
देश की दारुण स्थिति को देखते हुए, कांग्रेस को तुंरत इस प्रकार की फिजूलखर्ची पर रोक लगाना चाहिए. हरियाणा में विकास के नाम पर हुए विनाश की चर्चा जारी रहेगी.......
-Vijayendra, Group Editor, Swaraj T.V.
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सुना है कि आज ही गुजरात के मुख्यमंत्री को कोई पुरस्कार वगैरा मिला है, और पिछले 3 साल से इंडिया टुडे सर्वे में शीर्षस्थ राज्यों में गुजरात लगातार सभी सूचकांकों में पहले नम्बर पर बना हुआ है? और ये भी सुना है कि गुजरात साम्प्रदायिक है? वहाँ विष फ़ैल रहा है, वगैरा-वगैरा…
चिप लुनकर जी,
शायद आप निर्माण संवाद के प्रति दुराग्रही हो गए हैं, यह लेख कांग्रेस की बेशर्मी का ही बयान है. विकास की अवधारणा, जो विनाश की तरफ ले जाए, उसे विकास नहीं कहा जा सकता.
प्राकृतिक सम्पदा को सूली पर चढाकर चाहे गुजरात नम्बर वन हो या नम्बर वन हो, वह दोनों देश के हित में नहीं है, हरियाणा का मतलब फरीदाबाद, गुडगाँव नहीं है. हरियाणा का मतलब हरियाणा का गाँव भी होता है. गुजरात का मतलब भी सूरत और अहमदाबाद नहीं है, गुजरात का मतलब बी टी कॉटन से जूझता किसान भी है. विकास कि अवधारनाओ पर विमर्श जरुरी है. विकास कि झूठी कहानी में फसने कि कोई जरुरत नहीं है.
चिपलूनकर जी कांग्रेस झूठा परचार करती आई है, हुड्डा जी भी झूठ की फसल काट रहे है, इसलिए तो हमने उनके झूठे प्रचार पर लोगो को समझाने का प्रयाश किया है अपने लेख के माध्यम से भी, क्योंकि इस बार भी कांग्रेस की झूठे प्रचार को हरियाणा की भोली-भली जनता सच मानकर चुनाव में अपना मत डालती है तो देश के लिए दुर्भाग्य पूर्ण होगा.
बहुत अच्छा लेख. विकास की झूठी कहानी पर अच्छा व्यंग्य.