किसी दूसरी आकाशगंगा की किसी दूसरी धरती से, जो हमारी धरती से बिलकुल अलग सी दिखती थी, एक उड़नतश्तरी उतरी थी. उसमें से कुछ बहुत ही अलग से दिखाई देने वाले लोग उतरे. उनका रंग-रूप, बोली-भाषा, सब कुछ हमसे अलग था. उनका चलना-फिरना, उनका हँसना भी अलग था, यहाँ तक कि शायद उनका मजहब भी अलग था हमसे.
उन्होंने इशारे से कहा कि वो हमारी धरती पर आये हैं, घूमने के लिए.
लेकिन हम सब धरती वालों को देखकर वो बहुत परेशां थे.
उनमे से एक ने इशारे से कहा:-"तुम सब हमसे इतने अलग हो कि हमें लगता है कि जैसे तुम सब एक ही हो....!!!"
तभी किसी आवाज से मेरा ख्वाब टूट गया. लेकिन वो आवाज अभी भी गूँज रही थी-".....लगता है कि जैसे तुम सब एक ही हो....!!!"
काश हम सब धरती वाले उस अजनबी की बात पर यकीन कर लें कि हम सब एक ही हैं....!!
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