जल-जमाव, जलाधिक्य और जल-संकट....यह है पानी का सौगात इस सूबे के लिए.ये तीनों प्रकार का दुर्भाग्य सबके भाग्य में नहीं होता.......
बिहार की आँखें कभी सरबती हैं, तो कभी भींगती हैं और कभी सूख जाती हैं......बिहार के तन-मन में इतने गहरे जख्म पड़े हैं, कि दर्द भी परेशान है कि किस जख्म से बाहर निकले....?
साल दर साल की तबाही का अंत नहीं... तस्वीर बनते-बनते उजड़ जाती है. सड़कें हर साल गड्ढे में तब्दील हो जाती हैं. संसाधन यूँ ही स्वाहा होता रहता है. बिहार का धैर्य अब टूटता जा रहा है. किन-किन परिस्थितियों से लड़े....बाढ़ से, सुखाड़ से या जलभराव से...?
इस बार बाढ़ नहीं तो सुखाड़ आ गया.. पूरा बिहार अभी सूखे की चपेट में है. २६ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है. हेल्पलाइन, राहत शिविर, राहत पॅकेज का फिर से वही जुगाड़.... बिहार का त्राहिमाम सन्देश बार-बार केंद्र को भेजा जा रहा है. आखिर बिहार, कांग्रेस के लिए कोई बुंदेलखंड तो नहीं है, जहाँ सियासत चमकेगी. वैसे शायद प्रधानमंत्री सिर्फ विदर्भ और बुंदेलखंड ही नहीं बिहार के लिए भी होता है.... लगातार बिहार की उपेक्षा असहनीय है..
४१% कम बारिश हुई है बिहार में. ३५ लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती थी. मात्र १९% खेती की बुवाई संभव हो पाई है. १४,५०,७०६ हेक्टेयर में से केवल ६०,००० हेक्टेयर भूमि को ही सिंचाई की सुविधा बिहार सरकार अभी मुहैय्या करवा पा रही है.
१९६५ के भयावह सूखे का रिकार्ड भी टूट रहा है. लोगों का पलायन शुरू हो गया है. गाँव का गाँव खाली होने की स्थिति में है. बिहार नयी वीरानगी की ओर बढ़ चला है. महंगाई अलग ही मुंह चिढा रही है.
सियासती खेल में सूबे के इस संकट को कम करके देखना, एक राजनीतिक नाइंसाफी है. सूखा-बिहार आखिर किस प्रकार इस स्वतंत्रता दिवस का स्वागत करेगा???
स्वतंत्रता का एहसास बिहार को भी करवाइए प्रधानमंत्री जी, या फिर इस बार लाल किला से बिहार के लिए लाल कफ़न मुहैया कराने की घोषणा कीजियेगा...
-Vijayendra, Group Editor, Swaraj T.V.
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Chintaneey.
{ Treasurer-S, T }
vicharniya prashn hai yah kendra ke samksh...
akhir bihar desh ka ek hissa hai,,,,,uske sath kendra aisa bartaav kaise kar sakta hai,,,,,,,,
iske viruddh prayas hona chahiye.....
aur aaye saal bihar mein aane wali aapdaaon ke liye koi sthayi hal khojna chahiye.