Blog Archive

Bookmark Us!


धन्य हो! संजय पासवान जी. अंतिम-अंतिम में अपने अम्बेडकर को स्वर्ग दिला ही दिया. राम के बिना आत्मा उनकी नरक में जाती. अम्बेडकर को आपने नरक में जाने से बचा लिया. बड़ी कृपा की आपने.
हर दलितों के लिए राम बहुत प्यारा है. जिसे राम नाम लेने से रोका गया, वह अपने बेटे का ही नाम 'राम' रख लिया. रमईराम, जगजीवन राम, कांशीराम और रामविलास. कोई दलित 'राम' नाम से मुक्त नहीं है. वस्तुतः आप दलित हैं. आपकी दयनीयता पर तरस आता है. आप तो भाजपा के भी बाप निकले. राम-रस पीने की आदत पड़ गयी है आपको.
'राम' गाँधी के रग-रग में बसे थे. उनकी प्रार्थना में राम, साधना में राम(रामराज्य) और मरने पर 'हे, राम!.'
'गाँधी का राम' सुपर-डुपर हिट हुआ. देखा-देखी आपने 'राम' को लांच कर ही दिया. इस फिल्म का नाम आप 'आंबेडकर का हाय राम' रखिये. 'हे राम' हो या 'हाय राम' हो, भारत 'राममय' हो जायेगा.
पाठकों को बहुत देर तक सस्पेंस में नहीं रख सकते. क्लियर नहीं करेंगे तो 'हाय-हाय' करने लग जायेंगे. भारत का 'राम', गाँधी का 'राम', भाजपा का 'राम' और अब संजय पासवान का 'राम'; यानि 'राष्ट्रवादी अम्बेडकरवादी महासंघ (RAM)'. राम का नया अवतार!
३१ जुलाई, २००९ को स्थानीय मालवीय भवन में राम के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. राम मोहम्मद सिंह आजाद...! हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख धर्म का प्रतीक राम मोहम्मद सिंह आजाद, शहीद-ए- आजम उधम सिंह का दूसरा नाम है. उधम सिंह को अपने देश की तहजीब का ज्ञान था. उन्हें सामाजिक-सांस्कृतिक विश्वास था. गंगा-जमुनी संस्कृति ही उनकी चेतना के मूल में थी.
'राम मोहम्मद सिंह आजाद' यानि उधम सिंह की पुण्यतिथि को संजय पासवान ही क्यों मना रहे हैं? बाद में समझ आया कि उधम सिंह दलित परिवार से थे. उन्होंने बोध कराया कि उधम सिंह किस जाति के हैं. कार्यक्रम की सबसे बड़ी सफलता रही कि उधम सिंह का जात पता चल गया.
संजय पासवान के इस नवजात RAM को संघ और भाजपा के अलावे और कौन गोद लेगा! भाजपा का राम ना तो बिकाऊ है, ना ही टिकाऊ, अब तो वोट-दिलाऊ भी नहीं रहा. राम-भरोसे अडवाणी नहीं रहते तो वह पाइप-लाइन से जरूर बाहर निकलते. तब मनमोहन कहीं सोनिया-विहार में बैठ बांसुरी ही तो बजाते?
पर संजय पासवान के इस 'RAM' का बहुत काम है भाजपा में. यही राम उन्हें वोट दिलाएगा. इस 'RAM' के बिना भाजपा का राज्यारोहण संभव नहीं है.
गोविन्दाचार्य ने भी सामाजिक अभियांत्रिकी(सोशल इंजीनियरिंग) बात की थी. उस वक्त भला इस 'RAM' की चिंता क्यों सताए?
आज भाजपा को इसकी जरूरत पड़ सकती है. संजय पासवान को राजनीतिक बाजार का अच्छा ज्ञान हो गया है. बहुत बेहतर वक़्त पर उन्होंने 'राम-ब्रांड' सता बाजार में इंट्रोड्यूस किया है. खाए-पिए-अघाये बाबा और संघ के आलाधिकारी भी 'राम मोहम्मद सिंह आजाद' को श्रद्धांजलि देने आये थे. संघ वाले को पता नहीं था कि उधम सिंह का नाम, राम मोहम्मद सिंह आजाद था, नहीं तो मोहम्मद को देख कर मुहँ बिचका लेते.
उधम सिंह के बहाने और क्या-क्या खेल होंगे?!!...........
विमर्श अभी जारी है..
IF YOU LIKED THE POSTS, VOTE FOR BLOG

Top Blogs

You would also like to read :
-Vijayendra, Group Editor, Swaraj T.V.

0 Response to "गाँधी का 'हे राम!' और अम्बेडकर का 'हाय राम'.."


चिट्ठी आई है...

व्‍यक्तिगत शिकायतों और सुझावों का स्वागत है
निर्माण संवाद के लेख E-mail द्वारा प्राप्‍त करें

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

सुधी पाठकों की टिप्पणियां



पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्‍वमेव-मृगेन्‍द्रता का भाव खत्‍म हो चुका है।'
****************************************** गूगल सर्च सुविधा उपलब्ध यहाँ उपलब्ध है: ****************************************** हिन्‍दी लिखना चाहते हैं, यहॉं आप हिन्‍दी में लिख सकते हैं..

*************************************** www.blogvani.com counter

Followers