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खामोशी का अर्थ नहीं,
हम उनको भूल गए..
उन्होंने कैसे सोच लिया,
कि बागों से फूल गए..

कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं,
जो टूट नहीं सकते...
कुछ दामन ऐसे होते हैं,
जो छूट नहीं सकते..

कुछ लम्हे ऐसे होते हैं,
जो जीवन बन जाते हैं...
कुछ पल ऐसे हैं, जिनको
ये पल लूट नहीं सकते..

कुछ नजरें ऐसी होती हैं,
जो नजरों में उतर जाती हैं..
कभी-कभी कुछ बातें
दिल में, घर कर जाती हैं..

कभी किसी का आना भी,
तनहा कर जाता है..
कभी किसी की यादें दिल
में खुशियाँ भर जाती हैं...

ब्याज तो हर इक रिश्ते
का हम चुकता कर आये...
लेकिन शायद लगता है
हम बिन मूल गए..

खामोशी का अर्थ नहीं,
हम उनको भूल गए..

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6 Response to "खामोशी का अर्थ नहीं हम उनको भूल गए."

  1. Nidhi Sharma Said,

    Sunder bhaav..........
    achchhi rachna..

     

  2. sahi hai ham nahi bhul sakate hai ......ek sundar bhawabhiwyakti liye huye kawita

     

  3. Anonymous Said,

    खूबसूरत रचना

     

  4. Anonymous Said,

    No one can forget lover though the don't talk about him/her. Your poem is near to loves heart.

     

  5. Nidhi Said,

    This comment has been removed by the author.

     

  6. Anonymous Said,

    सच है...भूलना तो संभव ही नहीं होता.....
    बस बोलना छूट जाता है......बिना बोले ही...अथाह बातें होती रहती हैं अपने आपसे...
    अच्छी कविता..

     


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पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्‍वमेव-मृगेन्‍द्रता का भाव खत्‍म हो चुका है।'
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