कूटनीतिक पहल का अपना चरित्र होता है. उसकी एक सीमा भी होती है. पाकिस्तान को स्वाभाविक मित्र मान लेना एक बड़ी राजनितिक भूल है. पाकिस्तान का जन्म ही अस्वाभाविक रूप से हुआ है. इस कारण पाकिस्तान के साथ आपसी सम्बन्ध को लेकर आत्मविश्वासी हो जाना, भारत की एकता और अखंडता के लिए आत्मघाती कदम होगा. भारत, इतिहास की शोकांतिका को भूलना चाहता है। पाकिस्तान द्वारा दिए गए जख्मो को हरा बनाना ठीक नहीं है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भावुकता में साझा बयान दिया। निश्चित रूप से वह बयान देश को कमजोर करने वाला है. पाकिस्तान की बातो पर जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए. दोमुहे सांप की तरह वह कब किस मुंह से डस लेगा कहना कठिन है. साझा बयान के बाद मुंबई हमले के मास्टर माइंद हाफिज सईद को पाकिस्तानी अदालत ने क्लीनचिट दे दिया. अब वह उन्ही हरकतों को अंजाम देगा जिससे भारत लगातार परेशान रहा है. भारत के विपक्षी दल और संप्रंग के भी घटक दल मनमोहन की इस नासमझी भरे कदम के खिलाफ हो गए है. भाजपा पहले ही तेवर दिखा चुकी है. अब सरकार के घटक दल राजद और समाजवादी पार्टी ने भी कड़ा विरोध जताया है।
भाजपा के यशवंत सिन्हा ने सदन में कहा कि पाकिस्तान का इरादा पाक नहीं है. पाक को बहाना चाहिए. किसी न किसी बहाने को आधार बनाकर आतंकवादी को छोड़ता रहता है. सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने कहा कि सदन में प्रधानमंत्री के बयान का पर्दाफाश हो गया है. शिवसेना के अनंत गीते का विरोध जबरदस्त था. आडवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के बयान में विरोधाभास है, प्रधानमंत्री कुछ बोल रहे है और विदेश मंत्री कुछ. खुद कांग्रेस भी मनमोहन सिंह को लेकर पशोपेश में है. सरकार पार्टी की नहीं, देश की है. दल से बड़ा देश है. देश के हित में किये गए फैसले का स्वागत होना चाहिए. राष्ट्रविरोधी कार्य की मुखालफत होना जरुरी है, जो आज सदन और सदन के बाहर हो रहा है. मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान को लेकर देश एकजुट हो गया था; जिसे मनमोहन के साझा बयान ने छिन्न-भिन्न कर दिया. लाज बचाने के बजाय सरकार को अपनी भूल स्वीकार करनी चाहिए.
पाकिस्तान पहली दफा लड़ा तो हार गया. दूसरी बार टूट गया, अगर इस बार युद्ध हुआ तो पाकिस्तान नाम का देश नहीं बचेगा, विश्व के मानचित्र पर. देश की भूखी जनता की कीमत पर कुल बजट का साठ प्रतिशत रक्षा पर खर्च करते है. क्या इस प्रकार की लापरवाही देश और देश की जनता के खिलाफ नहीं है? कारगिल युद्ध, कश्मीर में लगातार घुसपैठ, मुंबई में आतंकी हमला, फिर भी सबूत चाहिए? यह निहायत एक थेथरई है। सईद को क्लीन चिट देकर पाकिस्तान ने भारत को अपना औकात बता दिया है. युद्ध समाधान नहीं है, लेकिन अब तो निन्यानवे गाली पूरी हो चुकी है। अब युद्ध से पलायन एक कायरता होगी. हे मनमोहन! अब तो सुदर्शन-चक्र चलाने की तैयारी करो.
पाकिस्तान पहली दफा लड़ा तो हार गया. दूसरी बार टूट गया, अगर इस बार युद्ध हुआ तो पाकिस्तान नाम का देश नहीं बचेगा, विश्व के मानचित्र पर. देश की भूखी जनता की कीमत पर कुल बजट का साठ प्रतिशत रक्षा पर खर्च करते है. क्या इस प्रकार की लापरवाही देश और देश की जनता के खिलाफ नहीं है? कारगिल युद्ध, कश्मीर में लगातार घुसपैठ, मुंबई में आतंकी हमला, फिर भी सबूत चाहिए? यह निहायत एक थेथरई है। सईद को क्लीन चिट देकर पाकिस्तान ने भारत को अपना औकात बता दिया है. युद्ध समाधान नहीं है, लेकिन अब तो निन्यानवे गाली पूरी हो चुकी है। अब युद्ध से पलायन एक कायरता होगी. हे मनमोहन! अब तो सुदर्शन-चक्र चलाने की तैयारी करो.
मादरे-वतन की रक्षा के लिए पूरा मुल्क मुस्तैद है. मुस्लिम जमात भी इस ज़ंग में ताकत लगाने के लिए बेचैन है. संवाद चलाएँ, सम्बन्ध बनाए, कोई दिक्कत नहीं है, पर जब पाकिस्तान के मुंह में राम हो और आचरण में भी राम हो।
भारत के खिलाफ आतंकवादी को प्रश्रय भी देंगे और दोस्ती की भी बात करेंगे; यह नहीं चलेगा। भारत को पाकिस्तान के इस दोगले चरित्र के खिलाफ विश्व-मंच पर प्रभावी हस्तक्षेप करना चाहिए. ढुलमुल रवैये से पाकिस्तान की भारत विरोधी गतिविधियाँ रुकने वाली नही है. आइये! देश साथ है. फिर पाक को मुकम्मल सबक दिया जाए।
-Vijayendra, Group Editor, Swaraj T.V.
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