दूं तुम्हे अपनी ख़ुशी,
या संसार की हर इक ख़ुशी,
या तुम्हे खुशियों का ही संसार दूं...
बोलो क्या उपहार दूं..
चाँद मांगो चाँद दूं,
हर ख़ुशी आबाद दूं,
या गगन से तोड़कर,
तारे हजार दूं..
बोलो क्या उपहार दूं..
यूं ही हंसी खिलती रहे,
हर ख़ुशी मिलती रहे..
मुस्कान पर हर इक तुम्हारी,
जां निसार दूं..
बोलो क्या उपहार दूं..
गम तो बीते वक़्त की हों दास्ताँ,
दर ख़ुशी पर ही रुके हर रास्ता,
दिल कहे दिल का ही
तुमको हार दूं..
बोलो क्या उपहार दूं..
Amit Tiwari 'Sangharsh', Swaraj T.V.
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सुन्दर अभिव्यक्ति।
बधाई!
बेहतरिन । बधाई
भावपूर्ण रचना....
दिल को छू लेने वाली अभिव्यक्ति...
अच्छी कविता.....
भावपूर्ण और प्रशंसनीय........
बधाई...
thank u