हमारा देश प्रगतिशील देशो की पंक्ति मे शुमार है. और एक सत्य यह भी है कि देश की इस प्रगति में स्त्रियों का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है. एक दौर था जब हमारे देश मे महान स्त्रियों ने जन्म लिया था और देश की जंगे आज़ादी मे अपना पूर्ण योगदान दिया था.
वह स्त्री, जो कभी घूँघट के पीछे एक ऐसी जिंदगी जीती थीं, जिसका अनुमान भी त्रासदी भरा है. जिसकी जिंदगी गुलाम से भी बदतर थी. आज वही स्त्री अपने पैरो पर खड़ी है और अपने देश को प्रगतिशील बनाने मे पुरूष वर्ग के साथ पूर्ण योगदान दे रही है.
फिर भी कही न कही आज भी स्त्रियों का शोषण चलता आ रहा है. आज भी बहुत सी स्त्रियों एवं अजन्मी बच्चियों की जिंदगी "बाढ़ के ग्रसित इलाको" सी है, जिसकी जिंदगी को कब क्या हो किसी को नही पता? आज कन्या भ्रूण-हत्या, यौन-उत्पीड़न, घरेलु-हिंसा, दहेज़-हत्या आदि उस बाढ़ की तरह है, जो स्त्री के अस्तित्व को डूबने पर मजबूर कर देते हैं.
हमे उस बाढ़ को हर हाल मे रोकना होगा. हमारे सामने हो रहे ऐसे गुनाहों के खिलाफ हमे आवाज़ उठानी होगी.
जो कदम सरकार ने स्त्रियों के उद्धार के लिए उठाये है, हमे उनमे उसका साथ दे कर, एक सच्चे इन्सान का फर्ज निभाना होगा.
शायद हमारे ही इन कदमों से वो बेबस भी, आजादी का मतलब समझ पाएं. हमारी तरह इस आजादी को जी पाएं.
आज़ादी का उत्सव तभी सार्थक होगा...
जय हिंद, जय भारत
-Ashi
You Would Also Like To Read:
स्त्रियों को समानता का हक है, वास्तव में यह हक छीना गया है, उन्हें वापस मिलना चाहिए।
sach kaha apne.....akhir hum striyon ko bhi to ajadi jeene ka utna hi haq hai.......
akhir kab aise tamam baadh hamari jindagi ko dubote rahenge?
hame ajadi kab milegi??
yeh sawal aaj bhi jinda hai..
सत्य वचन ..!!
काश कोई हम बेचारी बुरखे वालीयो की आज़ादी का भी सोचे. हिन्दुस्तान का मीडीया तो मुसलमानो का चमचा है और उससे तो इस बारे मे कायरता की ही उम्मीद है पर कोई तो आगे आओ और हम ओरतो को बुरखे से और हमारे मर्दो के ज़ुल्मो से आज़ाद करऔ