हे ब्लोगरों! यह बौद्धिक वैश्यावृत्ति कब तक?
जब विजयेन्द्र जी, महंगाई और राजनीतिक क्षुद्रता की बात करते हैं, तब किसी को होश नहीं आता. जब हम यमुना की गन्दगी और बढ़ते कंक्रीट के जंगलों की चिंता व्यक्त करते हैं, तब कोई टिप्पणीबाज ब्लोगर नहीं दिखाई देता.
आप जैसे ही कुछ महान लोगों ने भारत की तासीर ऐसी बना दी है, कि यहाँ आमजन की आजादी छीन ली जाए, संवैधानिक अधिकार ख़त्म कर दिए जाएँ, जीने की मूलभूत सुविधायें भी सरकार मुहैया न करा पा रही हो, कोई प्रश्न खडा नहीं होता. लेकिन जैसे ही कोई धर्मं का नाम लेता है, लोग उसे नोच खाने को दौड़ पड़ते हैं.
और दुर्भाग्य से इस दौड़ में भी समन्वय नहीं, प्रतिस्पर्धा झलकती है.
ब्लॉग की इस दुनिया में कदम रखते हुए ब्लोगर शब्द बहुत ही अच्छा एहसास देता था. इस शब्द से एकात्म का अनुभव होता था. लगता था कि निश्चय ही यह एक बौद्धिक समूह की तरह से कार्य करते होंगे.
मगर ऐसा नहीं है. ब्लॉग विमर्श का नही, बल्कि मात्र बहस का अड्डा है.
विषय मीडिया के हिन्दू-विरोधी चरित्र को लेकर था. आपने जिस प्रकार से उसके सिर्फ एक ही पक्ष को अंतिम सत्य में परिवर्तित कर दिया, उसको लेकर ससम्मान हमने विचार को एक विमर्श के लिए रख दिया. हमने आपकी बात से असहमति नहीं, बल्कि उसके एक विशेष कोण पर आपत्ति की. मीडिया की बजाय, हमने खुद हिन्दू के भीतर के अंतर्विरोधों को भी प्रश्न की कतार में लाने का प्रयास किया.
लेकिन जिस तरह से इस 'बौद्धिक-जुएबाज' ब्लॉग जगत ने एक गंभीर विमर्श के मुद्दे को, बहस में तब्दील कर दिया, देखकर खेद होता है. जिस तरह से पूरे विषय को 'हिन्दू बनाम मुस्लिम' में तब्दील कर दिया गया, इन'बौद्धिक-विलासिता' के आदी हो चुके टिपण्णीबाजों के द्वारा, अब यह स्वयं में एक विमर्श का विषय हो गया है.
ब्लोगरों, तुम हिन्दू हो, ये मुझे पता है; तुम मुस्लिम हो, यह भी मुझे पता है; तुम सिक्ख हो- ईसाई हो, तुम सवर्ण हो-अवर्ण हो, यह भी मुझे पता है. तुम कांग्रेसी हो-भाजपाई हो, क्षेत्रीय हो-वामपंथी हो,यह भी मैंने देख लिया है.
लेकिन एक प्रश्न यह है, कि तुम सब मनुष्य कब बनोगे?
ब्लोगरों, मेरा आग्रह है, कि इस बात पर एक स्वस्थ विमर्श करो, बहस नहीं.
टिप्पणियां करने और जागरूकता दिखाने के लिए और भी विषय हैं देश में.
-Amit Tiwari 'Sangharsh', Swaraj T.V.
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Satya kaha aapne...
main bhi pichhle dino hue uss bawal ko dekh rahi thi..
sirf kora bakwas....
mudde ko khinch kar galat disha de di gayi.....
aur aaj vastav mein bloggers ka yah vyavhar vimarsh ka vishay hai.....
ummeed hai ki is par ek swasth vimarsh hoga.....
lekin sandeh hi hai ki shayad blogger apke iss prashn par tippani karne aur vimarsh karne ka saahas bhi nahi kar paa rahe hain...
abhi tak kii shoonya tippaniyan to yahi dikha rahi hain..
fir bhi meri taraf se iss prashn ko uthane ke liye apko dhanyavad preshit hai....
aur bhavishya kii shubhkamnayein,,,,,
स्वप्नलोक पर एक महान विषय पर कविता और उस पर महान टिप्पणियां पड़ी हैं.
ye sach hai ki baudhik warg ho ya vypari warg ya fir aam insaan, samaj me aise halat hi panap rahe hai ki log, sakaratmak chijo ko grahan karne ki jagah nakaratmak wad-wivad apna waqt jaya karne lage hai. blog jagat ke aane se laga tha ki, bazarwad se grasit patrakarita me bada aur swachchh parivartan dekhne ko milega, aur baudhik warg apne buddhi ka istemal samaj me badlao lane ke liye kar sakenge, lekin sayad aisa kuchh na ho saka, so ek chinta ka visay hai. nidhi ji aapne is tathya ko samjhakar aapne pehla kadam badhaya iske liye dhanyawad.
Amit ji aapke uthaye hue prasn par vichar ka silsila shuru kar, bauddhik warg ke logo ko aatm manthan karne ki jarurat hai.
August (55)
* हे ब्लोगरों! यह बौद्धिक वैश्यावृत्ति कब तक???
* उम्मीद है शायद आप कुछ विचार अवश्य करेंगे....
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khud hi dekho apne mahine bhar ke lekhon ko aur tay karo kya likha hai ? kitne panne kahan kharch kiye hain ?
salah batne se pahle yah bhi dekho kitne uttejak shirshk lgya tumne .
sab trp ka masla hai /
saari baten khud par laagu karo wyawharik jeewan mein to bahut achcha hoga .
ant mein bauddhik weshywritti jaise jumle ka istemaal karne se pahle ye pta karo jinki chhatrchhaya mein likhte ho wo bhi to kahin isme shamil nahi ya dalali to nahi karte .
naitikta kee baat to nahi karo kyonki tumhare guru ke gur hain" chandraswami " ab soch lo . naam ke anusaar hi tumhe bhi sangharsh karna hai . bach ke rahna ?//////
वेल सेड मो. अकरम भाई…
akaram bhai...bahut dhanyavad apka..hame agaah karne ke liye..
waise hame sangharsh se darr lagta to naam ke sath naa jodte..
aur ek baat.......ya to aap 'uttejak shirshak' ka matlab nahi jaante hain,,,ya fir apko dhyan hi nahi raha ki aap kahanaa kya chahte ho....
suresh ji ne 'well said' to kah diya sirf kahne ke liye.....
bilkul 'well said' nahi.....
suvidha ke liye....inn uprokt shirshakon mein se tathakathit uttejak shirshak alag karke bataiye.....aur ho sake to unki uttejakata bhi........
apka abhaar hoga..
पता नही आप मीडीया वालो को ऐसी कौन सी घुट्टी पिलाई जाती है की आप सब लोग हिंदू विरोधी हो जाते है खुद तो अपने गिरेबान मे झाँक कर देखते नही और शुरू हो जाते है दूसरो को नैतिकता का पाठ पढ़ाने . इमराना और सोहराबुद्दीन के मामले मे पूरे देश ने देख लिया की कैसे बिना तथ्यो को जाने आप लोग एक आंतकवादी के पक्ष मे चिल्लाना शुरू कार देते है और पोल खुलने पर उफ़ तक नही करते माफी माँगना तो दूर की बात है इतने बेशरम होते है आप लोग . मीडीया और तथाकठिक मानवाधिकार संघठन हमेशा अपराधियो और देशद्रोहियो का ही पक्ष क्यो लेते है क्या आप लोगो की फंडिंग इन्ही से होती है या आप लोगो ने अपना ईमान बेच दिया है जो अब देश को बेचने की तैयारी है