मैं देखता था ये ख्वाब,
इस आजकल से पहले,
अपनी जिंदगी में तेरी,
इस हलचल से पहले.
ये ख्वाब, कि कोई
इतना भी हंसी होगा,
खुशियों का भी कोई
तो हमनशीं होगा..
आँखें कोई तो होंगी,
मुझे पढ़ने में कामयाब,
सितारों की इस जमीं
पर वो होगा माहताब.
कोई तो होंठ मेरी
भी आवाज बनेंगे,
जिसके मुस्कुराने से
नए साज बनेंगे..
कोई तो दिल धड़केगा,
मेरे दिल की तरह से.
कोई तो होगा मेरी राह
में, मंजिल की तरह से..
कोई तो मेरे जैसे
जज्बात लिए होगा,
कोई तो मेरे जैसी
हर बात लिए होगा.
अब सच हुआ ये ख्वाब मेरा,
खिल गया दिल गुलाब मेरा.
मिल गयी मुझको ख़ुशी
एक ख़ुशी के रूप में.
बादलों के छाँव जैसी
इस दहकती धूप में,
'संघर्ष' ने जब ख़ुशी
पाई, ख़ुशी से रो पड़ा..
जिंदगी जैसे मिली हो
मौत के जंगल से पहले..
मैं देखता था ये ख्वाब,
इस आजकल से पहले,
-Amit Tiwari 'Sangharsh', Swaraj T.V.
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वाह !! क्या खूब लिखा !!