इंडिया गेट......शायद इंडियनों की स्मृति में बना यह गेट.... ये वही इंडियन हैं जो भारत के खिलाफ गोलियां दागते थे, वह भी चंद चांदी के टुकडों के लिए, एवं अदद सम्मान के लिए.......
जलियांवाला बाग़ में निहत्थों पर गोली चलाने वाले कितने अंग्रेज थे? मात्र तीन..... मात्र तीन अंग्रेजों की ही तो मौजूदगी थी जलियांवाला बाग़ में!!!! बंदूकें तो इन्हीं इंडियनों के हाथ में थी. अपने ही सगे को गोलियों से भून दिया था, इन गद्दारों ने...अपने ही मासूमों की किलकारियों को चीत्कार में तब्दील कर दिया था, हाँ ये वही थे....काले अंग्रेज....इंडिया गेट भारतीय राष्ट्रवाद का मुख नहीं, मुखौटा है.
१९७१ से 'अमर जवान ज्योति' जल रही है, इंडिया गेट पर..... यह ज्योति किसी भारतीय नौनिहालों के लिए नहीं है, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपनी आहूति दी.
यह ज्योति उन ९०,००० सैनिकों की याद में जल रही है, जो अंग्रेजी हुकूमत के लिए काम कर रहे थे. ये उनके सिपाही थे, कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं. इन मरे सैनिकों को शहादत का दर्जा कतई नहीं दिया जा सकता, जो अंग्रेजों की नौकरी करते जान गवाएं हैं. 'गद्दार' और 'खुद्दार' के अर्थ को यह देश अच्छी तरह समझता है.
यह भारत के राष्ट्रवाद पर एक काला धब्बा है. भारतीय इतिहास की शोकांतिका है.
९०,००० सैनिकों की याद भला कौन करे...... अंग्रेजों ने विश्व-युद्ध और अफगान तुद्ध में इन सैनिकों का इस्तेमाल किया, जो मारे गए.
इंडिया-गेट पर मौज-मस्ती करने मैं भी जाता हूँ. मगर उस 'अमर जवान ज्योति' से प्रेरणा लेने कभी नहीं जाता. वह गुलामी का प्रतीक है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.
"माँ के बलात्कारी को बाप कहने की फितरत नहीं है हमारी.."
आज भी भारतीय समाज का गुस्सा नहीं उतरा है. आज भी हम रावण-वध और कंश-वध कर रहे हैं, फिर भी नाराजगी कायम है....
भारत माँ के ऊपर हुए अत्याचार को कैसे भुलाया जा सकता है.
इंडिया-गेट के रहते भारत की बलिदानी विरासत को आगे कैसे बढाया जा सकता है? मातृभूमि पर शीश चढाने वालों के प्रति हमारी कृतज्ञता कहाँ दिखती है. गद्दारों के मजारों पर मेले लगाकर हम देशभक्ति का अपमान कर रहे हैं.
बोस्टन की 'टी पार्टी' के बाद अमेरिका भी आजाद हुआ. उन्होंने गुलामी के तमाम अवशेषों को उखाड़ फेंकने का काम किया. इजरायल का उदहारण मौजूद है. जापान पर परमाणु बन गिराया गया, पुनः जापान खडा होता है, अपने प्रखर राष्ट्रवाद के बल पर. गुलामी उन्हें भी बर्दाश्त नहीं.
लोग तर्क देंगे कि किसे-किसे तोडा जाए......... क्या 'कुतुब' और 'ताज' को भी तोड़ दिया जाए, यह भी तो विदेशी शासक ने बनवाया था. मैं तोड़ने के पक्ष में नहीं हूँ, बल्कि इतना ही कहना चाहता हूँ, कि जो सामान 'बाथरूम' का है, उसे 'पूजाघर' में ना रखा जाए. जो सत्य है, उसे सत्य के रूप में दिखाया जाए. मुर्दाघर को स्मारक न बनाएं.
इतिहास के बिना कोई समाज दीर्घकाल तक जिन्दा नहीं रह सकता. उसे अपना गौरवशाली इतिहास चाहिए. विकृत इतिहास, विकृति पैदा करेगा, शहादत की संस्कृति नहीं........
भारत आज भयावह स्थिति में जा फंसा है. तिनका-तिनका बिक चुका है. जंगल वीरान हो चुके हैं. सदानीरा रेत में तब्दील हो रही है. जमीनें सेज की सूली पर टंगी हैं. जो शेष हैं, वो इसलिए जिन्दा हैं कि मरते नहीं हैं....यानि सरप्लस आबादी....
तंत्र इस आबादी के प्रति जिम्मेदार नहीं है... रोजगार के अवसर घट रहे हैं. विदेशी कर्ज के दबाव में देश के हित दांव पर लग रहे हैं. चमकती सड़कें, चमकते हाल केवल छद्म हैं. भीतर दावानल सुलग रहा है.
नयी पीढी के पास कुछ कर गुजरने की छटपटाहट है; बस कमी है तो केवल राष्ट्रबोध की. शिक्षा से लेकर संस्कार तक इस नयी पीढी को हम अपरूटेड कर रहे हैं..... राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान के बिना राष्ट्र-बोध कैसे पैदा होगा देश में?
आइये! भारत के सपूतों की शहादत को सलाम करें और छद्म देशभक्ति के प्रतीकों पर हल्ला बोलें...
-Vijayendra, Group Editor, Swaraj T.V.
विचारणीय पोस्ट लिखी है
आप की सारी बातें सत्य हैं किन्तु क्या हम इसे सही तरीके से समझा पाएंगे ?
अगर मेरी तरफ से कोई सहयोग वांछित हो तो अवश्य कहिये |
MAA KE BALATKARI KO BAAP KEHNE KI.......
kya baat ko sabhya aur shaleen tarike se nahi kaha ja sakta tha???
ji bilkul sahi kah rahe hain....
arre sabhy tarika to jindagi bhar nibha hi rahe hain,sab...kya ukhad liya aaj tak...
gungi, bahri saltnat ko kaun si sabhy bhasha mein samjhaoge???
baithe to hain log dharne par.....kya ho gaya....!!1
shabd nahi....akrosh ko samajhiye...
lekhak badhai ke patr hain.....bilkul sabke mann ki baat hai ye.....lekin awaz uthane ki himmat viralon mein hi hoti hai..
bahut achchha.......
ji ha janab
saltnat ne sun liya. baahar khadi hai aapki khidmat me.
jiiiiiiiii..........
khada to kar hi denge iss saltnat ko ek na ek din......darvaje par....
bas saltnat se khauf khane wale thoda sudhar jaayein,,
lage raho hum aapke sath hai,
gulami mansikta aur jaychando ko pujne ki hamari parampara sadio purani hai, aaj ki yuva pidhi agar samajh jae aapke hamare is prayas to fir kya sochna, bhrastachar se lekar tamam muskile hamesha ke liye dur ho jaegi. .
vande matram.
jai ho bandhuvar, jai ho...
aap khud ko bada krantikari samajhte ho to hoge bhi, hume koyee shak nahi.....
humne to sirf article ki heading par aiteraj jataya tha....kya tha woh.....MAA KE BALATKARI KO BAAP....
Bhaiya mere, apni ma (Bharat ma) ko apshabd kahkar agar apka aakrosh shant hota hai to fir kya kaha ja sakta hai.....
baaki saltnat se apni koyee yaari nahi...aapke darwaje par saltnat ko kahde dekhna hume bhi achcha lagega...dekhna hai jor kitna.....??????