Bookmark Us!
Showing posts with label कविता. Show all posts
Showing posts with label कविता. Show all posts

सैनिक का ख़त घरवालो के नाम

Posted by अमिताभ भूषण"अनहद" On 10/17/2009 03:16:00 pm 3 comments

लक्ष्मी की अर्चना

माँ हृदय रूपी दीप में वात्सल्य अपना भर लेना
पितृ प्रेम की बाती रख ,लक्ष्मी की अर्चना करना

भाई अपने हृदय दीप में तू ,राष्ट्र सेवा भाव भरना
कर्म की बाती रख कर ,लक्ष्मी की अर्चना करना

बहन अपने हृदय दीप में ,आँखों का सूनापन भरना
बचपन की अवीस्मर्निये यादो की बाती रखकर
लक्ष्मी की अर्चना करना

बेटा तेरा यह बाप कही , हो सके तुझे न देख सके
पर तू अपनी माँ की आँखों में ,मेरी तस्वीर निहार लेना

तुझसे अब मै क्या कहू सखे .............
दीप की नियति है ,अपने तल में अँधेरा समेटे रखना
तू त्याग साधना की प्रतिमूर्ति ,नित्य कर्म पथ पर
तिल- तिल कर जलती रहना
इस जन्म में मुझे क्षमा करना

प्रिये अपने हृदय दीप में ,सजल नयनों का जल भरना
बिरहा की बाती रखकर ,लक्ष्मी की अर्चना करना
लक्ष्मी की अर्चना करना (//)

अनहद

बहुत दिनों से मैंने शायद

Posted by AMIT TIWARI 'Sangharsh' On 10/08/2009 11:37:00 pm 9 comments


बहुत दिनों से मैंने शायद, नहीं कही है दिल की बात...
बहुत दिनों से दिल में शायद, दबा रखे हैं हर ज़ज्बात..
बहुत दिनों से मैंने शायद, रिश्ते नहीं सहेजे हैं....
बहुत दिनों से यूँ ही शायद, बीत गयी बिन सोये रात...
-लेकिन इसका अर्थ नहीं मैं...रिश्ते छोड़ गया हूँ....

अपने दिल की धड़कन से ही, मैं मुंह मोड़ गया हूँ..

मेरा जीवन अब भी बसता है, प्यारे रिश्तों में,

बिन रिश्तों के जीवन सारा, जीते थे किश्तों में,.,,

मेरी जीत अभी भी तुम हो,

मेरी प्रीत अभी भी तुम हो..

पूज्य अभी भी है ये रिश्ता ..

दिल का गीत अभी भी तुम हो...

नहीं भूल सकता हूँ, मेरा, जीवन बसता है तुम में..

चाहे जहाँ भी तुम हो लेकिन, बसते हो अब भी हम में..


- अमित तिवारी 'संघर्ष', स्‍वराज टी.वी.
(चित्र गूगल सर्च से साभार)
IF YOU LIKED THE POSTS, CLICK HERE
Top Blogs


चिट्ठी आई है...

व्‍यक्तिगत शिकायतों और सुझावों का स्वागत है
निर्माण संवाद के लेख E-mail द्वारा प्राप्‍त करें

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

सुधी पाठकों की टिप्पणियां



पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्‍वमेव-मृगेन्‍द्रता का भाव खत्‍म हो चुका है।'
****************************************** गूगल सर्च सुविधा उपलब्ध यहाँ उपलब्ध है: ****************************************** हिन्‍दी लिखना चाहते हैं, यहॉं आप हिन्‍दी में लिख सकते हैं..

*************************************** www.blogvani.com counter

Followers