समय के सुलगते सवालों से आपका भी सरोकार है. निर्माण संवाद एक साप्ताहिक समाचार पत्र ही नहीं बल्कि बजबजाती जिंदगी के खिलाफ एक विद्रोह भी है, तथा संघर्ष और सृजन का प्रतिनिधि स्वर भी. पढ़ें निर्माण संवाद.
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पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्वमेव-मृगेन्द्रता का भाव खत्म हो चुका है।'
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0 Response to "बापू हम शर्मिन्दा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं.."