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चिट्ठी आई है...
सुधी पाठकों की टिप्पणियां |
पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्वमेव-मृगेन्द्रता का भाव खत्म हो चुका है।'
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