Blog Archive

Bookmark Us!

मैं निर्दोष हूं.. तो दोषी कौन ?

Posted by AMIT TIWARI 'Sangharsh' On 4/21/2010 10:51:00 pm


जिस प्रकार अफ्रीकी देशों जांम्बिया, कांगो, नाईजीरिया, सिएरा, लीयॉन, अंगोला, लाईबेरिया में प्राकृतिक खनिज संपदा से भरपूर होने के बावजूद भी विकास की रोशनी नहीं दिखाई देती, जिस प्रकार नाइजीरिया में दुनियाँ का दसवाँ सबसे बड़ा तेल भंडार होने के बाद भीनाइजर डेल्टाके नागरिक आदिम युग में जी रहे हैं, उसी प्रकार भारत की सारी खनिज संपदा का चालीस प्रतिशत भाग अपने गर्भ में संजोये हुए झारखंड विकसित राज्य की श्रेणी से कोसों दूर विकासशील राज्यों की सच्चाई से भी अभी बहुत दूर है। चिंता की बात यह है कि प्रतिवर्ष 6 हजार करोड़ रुपये का खनिज उत्पादन करने वाला यह राज्य गरीबी, भूखमरी एवं बेरोजगारी से तंग आकर नक्सलियों के चपेट में बुरी तरह फंस गया है। क्योंकि नार्वे जो दुनियाँ का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और बोत्सवाना जो हीरे जैसी सम्पदा से भरपूर है, के ईमानदार नेताओं जैसा झारखंड को नेता नहीं मिला, जो ईमानदारी एवं अपनी दूर दृष्टि से नार्वे और बोत्सवाना जैसी तरक्की जैसी ऊँचाई बुलंद करता। मधु कोड़ा ही नहीं बल्कि दूरसंचार मंत्री राजा के ऊपर 2 जी स्पेक्ट्रम में अरबों रुपये घोटाला करने का आरोप लगा और सी बी आई का मंत्रालय के मुख्यालय पर छापा पड़ा तो उन्होंने अपना ठीकरा राजग पर फोड़ते हुए पलटवार किया कि ‘‘भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार ने खास-खास कंपनियों को निशुल्क स्पेक्ट्रम आवंटित किया, जिसके फलस्वरूप सरकारी खजाने को एक लाख साठ हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।’’ ज्ञातव्य हो कि राजा ने 2007 में संचार मंत्री के रूप में 2001 की कीमत पर 2 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया था, जिससे कुछ कंपनियों ने अपनी हिस्सेदारी का कुछ प्रतिशत बेच कर हजारों करोड़ रुपये कमाया।
मधु कोड़ा के आय से अधिक संपत्ति के मामलें में 31 अक्टूबर 2009 को आयकर विभाग के 400 अधिकारियों के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी ने झारखंड के अलावे दूसरे राज्यों के 8 शहरों स्थित 70 ठिकानों पर एक साथ छापा मारकर उनके विदेशों में अरबों रुपये की संपत्ति का दस्तावेज हाथ लगने का दावा किया है। जहाँ एक तरफ देश के अंदर कोड़ा की संपति का पता लगाने के लिए आयकर विभाग की वाराणसी, मेरठ, इलाहाबाद, गोरखपुर, लखनऊ, आगरा एवं राँची की टीमों ने संयुक्त रूप से 19 नवम्बर 2009 को 18 जगहों पर एक साथ छापा मारा तो दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय विदेशों में उनकी अकूत संपति के सबूत जुटाने के लिए एड़ी चोटी एक किए हुए है। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार लाईबेरिया, दुबई और कंबोडिया जैसे देशों को मधु कोड़ा के संपति के बारे में विस्तृत जानकारी देने हेतु अनुरोध पत्र भेजा जा रहा है। लेकिन मधु कोड़ा खुले आम चुनाव प्रचार के दौरान यह कहा ‘‘मैं निर्दोष हूँ’’ यही नहीं उन्होंने यहाँ तक कहा है कि हवाला के माध्यम से अगर विदेशों में पैसे जमा कराये गए तो उसमें नेताओं की लंबी सूची है। आखिर जनता यह चूहा-बिल्ली का खेल कबतक देखती रहेगी ? क्या लोग कभी भी सच्चाई को सामने पा सकेगें ? मधु कोड़ा द्वारा दिये गए बयान में जिन नेताओं की ओर इशारा है, क्या उनकी पूरी सच्चाई जनता के सामने सकेगी ? या फिर अन्य घोटालों की तरह इस घोटाले को भी रफा-दफा कर दिया जाएगा ? दूरसंचार मंत्री को भारत के प्रधान मंत्री क्लीन चिट दे रहें हो और वित्त मंत्री सफाई देते नजर रहे हों तो मधु कोड़ा द्वारा बयान ‘‘मै निर्दोष हू’’ सच भी हो तो जनता जानना जरूर चाहेगी कि आखिर दोषी कौन है ? राज्य और देश को दीमक की भांति चाटने वाले भ्रष्ट नेतागण, चोर पदाधिकारी एवं बेईमान व्यापारी आखिर कानून की पकड़ से कबतक आँख मिचैली करते रहेंगे ?
सवाल झारखंड के पूर्व मुख्य मंत्री या भारत के दूरसंचार मंत्री के द्वारा किए गए घोटाले का नहीं बल्कि सच्चाई सामने आने का है और कोड़ा के अनुसार अगर और लोग इस घोटाले में शामिल हैं, तो सरकार को उन सभी को कानूनी शिकंजे में लाना चाहिए। फिर दूरसंचार मंत्री का आरोप कि राजग सरकार के निशुल्क बाँटे गए स्पेक्ट्रम से सरकारी खजाने को हुए एक लाख साठ हजार करोड़ के नुकसान की भी उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए और दोषी को अवश्य सजा मिलनी चाहिए क्योंकि सरकारी उपक्रम मंत्रियों, नेताओं या नौकरशाहों की बपौती संपति नहीं जिसे जैसे चाहे, जब चाहे उसे निलाम कर दें या बेच डालें।
वस्तुतः सरकारी उपक्रम जनता की धरोहर है, जिसकी रक्षा करना नेताओं या नौकरशाहों का परम् दायित्व है लेकिन आजकल सरकारी उपक्रम को सरकार उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के नाम पर धड़ल्ले से जिस प्रकार औने-पौने दाम पर बेच रही है, स्पेक्ट्रम इसका एक उदाहरण मात्र है। इससे प्रतीत होता है कि जनता की संपत्ति की ये लोग ट्रस्टी के रूप में रक्षा नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी संपति की तरह उपयोग कर रहे हैं। यही नहीं दूसरे पर गलती थोपकर अपनी गलती से किसी को वरी नहीं किया जा सकता। लगता है भारतीय भ्रष्ट नेताओं, बेईमान पदाधिकारियों एवं चोर व्यापारियों के लालच एवं बेशर्मी से तंग आकर स्विस बैंको के एसोसिएशन के प्रमुख पैट्रिक ओडियर ने भी अपना सर शर्म से झुका लिया और कहा कि स्विटजरलैंड के बैंको में अब जमा करने वाले विदेशियों के बारें में विदेश में व्यक्तिगत कर संबंधी दायित्वों की सूचना मांगने के बारे में विचार किया जा रहा है, लेकिन स्विटजरलैंड सरकार के साथ जिस सरकार का द्विपक्षीय समझौता होगा, उसपर ही यह नियम लागू होगा।

- Arvind Panjiyara


NIRMAN SAMVAD

0 Response to "मैं निर्दोष हूं.. तो दोषी कौन ?"


चिट्ठी आई है...

व्‍यक्तिगत शिकायतों और सुझावों का स्वागत है
निर्माण संवाद के लेख E-mail द्वारा प्राप्‍त करें

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

सुधी पाठकों की टिप्पणियां



पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्‍वमेव-मृगेन्‍द्रता का भाव खत्‍म हो चुका है।'
****************************************** गूगल सर्च सुविधा उपलब्ध यहाँ उपलब्ध है: ****************************************** हिन्‍दी लिखना चाहते हैं, यहॉं आप हिन्‍दी में लिख सकते हैं..

*************************************** www.blogvani.com counter

Followers