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भाजपा की हार जितनी चर्चा में नहीं है, उस से ज्यादा चर्चा भाजपा की हार की समीक्षा की हो रही है। विगत लोकसभा चुनाव में पार्टी ने चुनाव जीतने के बजाय जनता को भड़ास निकालने का मौका शायद ज्यादा दिया। जनता ने भड़ास निकाला। पार्टी के चुनाव जीतने के सपने टूटकर बिखर गए। अब पार्टी अपने नेताओं को अपनी भड़ास निकालने का मंच मुहैया करा रही। आक्रोश नेताओं का इतना गहरा है कि इस मंच से भी नेताओं को संतोष नहीं मिल रहा है। मंच के बाहर भी मीडिया में अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं। यशवंत सिन्हा ने तो इतना पत्र लिखा कि पार्टी बौखला गई। विनय कटियार, जसवंत सिंह, नकवी और शाहनवाज के मौन पिघल रहे हैं। भला पार्टी की कमान सँभालने वाले संघ के आलाकमान कैसे चुप रहते? उन्होंने धमकी दे दी कि पार्टी की हिम्मत है तो हिंदुत्व छोड़कर दिखाए। पार्टी न तो संघ की विश्वासी बन पा रही है, और न ही नेता और जनता की। पार्टी की दशा कटी पतंग जैसी हो गई है।
यशवंत सिन्हा कह रहे हैं कि पार्टी अपने लक्ष्य को स्पष्ट करे। सेकुलर बनना है तो सेकुलर बन जाए या धार्मिक पार्टी बनना है तो वो भी तय हो जाए। दो नावों की सवारी में पार्टी का डूबना तय है।
वे कह रहे हैं कि जिनकी रणनीतियां बेकार हुई हैं, तो फ़िर ऐसे नाकारा नेता को पुनः सम्मान क्यों मिल रहा है?
नकवी और शाहनवाज, वरुण गाँधी के बयान को पार्टी की हार का कारण बता रहे हैं। वरुण गाँधी के बयान से पार्टी कबड्डी खेलती रही। जनता ने तत्काल भाजपा की ड्रामेबाजी को भांप लिया और पार्टी को औकात बता दी।
राम के नाम पर वोट लूटते रहे, कभी 'राम-मन्दिर' तो कभी 'राम-सेतु'। मेरा तो मानना है कि हिंदुत्व की जितनी क्षति गजनी और गौरी ने नहीं की उस से ज्यादा तो भाजपा ने कर दिया। हिंदुत्व अगर मजाक बन रहा है तो उसकी सारी जिम्मेदारी भाजपा की है। गजनी और गौरी मन्दिर तोड़कर संसाधन लूटते रहे तो भाजपा मन्दिर बनाकर सत्ता लूटना चाहती है। गजनी और वरुण गाँधी में चरित्रगत कोई अंतर नहीं है। मुसलमानों के बिना भाजपा कहाँ ठहरेगी? जहाँ-जहाँ मुस्लिम आतंक बढ़ा, वहां-वहां भाजपा मजबूत होती गई। यानी इनके तेज़ विस्तार के लिए मुस्लिम आतंक जरूरी है। गजनी और गौरी ना सही, उनकी औलाद पाकिस्तान ही आतंक फैलाता रहे यहाँ।
मुंबई पर आतंकी हमले के बाद मैंने एक रिक्शाचालक को कहते सुना 'इस आतंकवादी घटना से भाजपा को चुनावी फायदा होगा।' उस बात को समझने कि कोशिश में मुझे लगा कि क्या भाजपा की वृद्धि के लिए आतंकी हमले जरूरी हैं?
पार्टी को भी पता है और उसके नेता को भी कि भड़ास निकले या ना निकले, पार्टी वही सब करेगी जो संघ चाहेगा।
महाभारत में कृष्ण, अर्जुन को समझा रहे हैं "किस को मार रहे हो? यहाँ तो सब पहले से ही मरे हुए हैं."यहाँ भी संघ अपना विराट रूप वक्त-वक्त पर दिखाता रहता है कि भड़ास निकालने से क्या होगा? होगा वही जो संघ चाहेगा।
संघ ने भाजपा रुपी घोड़े को छोड़ा है, मगर लगाम अभी भी उसके हाथ में है।
--Vijayendra, Group Editor, Swaraj T.V.

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पाश ने कहा है कि -'इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी होगी, सपनों का मर जाना। यह पीढ़ी सपने देखना छोड़ रही है। एक याचक की छवि बनती दिखती है। स्‍वमेव-मृगेन्‍द्रता का भाव खत्‍म हो चुका है।'
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